ईश भवन है महान् अपार
जिसमें बसता प्रभु भगवान {(2)}
आओ प्रभु के मंदिर चलें
यह सुनकर में हर्षित हुआ। {(2)}
प्रभु चरणों की एक घड़ी है
बरसों जीवन से अच्छा। {(2)}
हर मानव का प्रभु रक्षक है
उसके पीछे जो चलता । {(2)}
प्रभु के सम्मुख कब जाऊँगा
उसके दर्शन पाऊँगा । {(2)}