ईश भवन है महान् अपार

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[Chorus]

ईश भवन है महान् अपार

जिसमें बसता प्रभु भगवान {(2)}

[Verse 1]

आओ प्रभु के मंदिर चलें

यह सुनकर में हर्षित हुआ। {(2)}

[Verse 2]

प्रभु चरणों की एक घड़ी है

बरसों जीवन से अच्छा। {(2)}

[Verse 3]

हर मानव का प्रभु रक्षक है

उसके पीछे जो चलता । {(2)}

[Verse 4]

प्रभु के सम्मुख कब जाऊँगा

उसके दर्शन पाऊँगा । {(2)}

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